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बदलाव हमारा कर्तव्य

Mehak D Sharma

Mehak D Sharma

20/UCSA/209


सुनो सुनो !

सभी सुनो !

आया है नया दौर, ये लो फोन और कर दो कॉल !

अपनो से जुडो, रिश्ते मजबूत करो। 

किन्तु  उनका क्या जो आपके पास बैठे घम में जी रहे है अकेले!! 

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इंसान रिश्ते बदलता है, घर बदलता है, दोस्त बदलता है, अपनी इच्छा के अनुसार अपनी सोच बदलता है किंतु क्या वो स्वयं को बदलता है? "खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में  देखना चाहते हैं."  यह शब्द महात्मा गाँधी जी ने कहा था।

बदलाव हर छोटी चीज़ में आज जरूरी है। 

बदलाव हर सोच में आज जरूरी है! 

हम सभी ने जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बारे मै सुना था, आज के युग में इंसान के रंग पर भेद भाव कर हत्या की जा रही है! " वसुधैव कुटुम्बकम् " इस अमूल्य शब्द का महत्व कही हम भूल तो नही गए??

आज के दौर में हर क्षेत्र में लड़कियाँ तरक्की कर रहे है। 

किंतु कई लोगों के सोच में आज भी बदलाव ज़रूरी है। लड़की के 18 होते ही बंधन में बांध देना, उसे एक लड़के के जितनी सुविधाएं और अवसर ना देना, क्या समाज के ऐसे सोच को आगे नहीं बढ़ना चाहिए?

सवाल है आज उस हर शक्स से जिसने अपने से नीचे जात के लोगो से हमेशा नाइंसाफी की है। सवाल है आज उस शक्स से जो बदलाव ला सकता है किंतु लाने की प्रयास नहीं करते।

अवसर सभी को मिलते है बदलाव लाने का  किंतु लालच की वजह से कोई आवाज़ नही उठाते और अगर किसी ने आवाज़ उठाई तो समाज उस आवाज़ को अंसुना कर देते हैं यां उसे दबा देते है।आज के इस युग में बदलाव अनिवार्य है। 6 सितंबर 2018 को कोर्ट ने धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को वैध करार देते हुए कहा कि सेक्शुअल ओरियंटेशन प्राकृतिक होता है और लोगों का उसके ऊपर कोई नियंत्रण नहीं होता। हालांकि, कोर्ट ने नाबालिगों, जानवरों और बिना सहमति के बनाए गए संबंधों पर इस प्रावधान का लागू रखा है। फैसला देते हुए जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने यह भी कहा कि समाज को LGBTQ और उनके परिवारों से उन्हें इतने साल तक समान अधिकारों से वंचित रखने के लिए माफी माँगनी चाहिए। इसी के साथ भारतीय संविधान ने सदियों पुरानी बेड़ियाँ काटकर प्यार करने वालों को समाज में सिर ऊँचा करने का अधिकार दे दिया । बेनजामिन फ्रेंकलिन ने सही कहा है, “खोया हुआ समय कभी नहीं लौटता.” इसलिए कबीरजी के कहे अनुसार ही समय की महत्ता समझकर इसका उपयोग करना चाहिए यथा,

“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।अब।

पल में प्रलय होएगी, बहुरि करोगे कब ॥”

अर्थात कल जो करना है उसे आज करो और जो आज करना है उसे अभी करो। जीवन बहुत छोटा होता है और पल भर में ख़त्म हो सकता है, तो फिर तुम सब कुछ कब करोगे? 

समय और समुद्र का ज्वार किसी का इंतज़ार नहीं करते। यदि आप समय के साथ नहीं चल पाएंगे तो कोई और मौंके का फायदा उठाएगा। बदलाव प्रकृति का नियम है और ये होकर ही रहेगा। समय पर बदलाव को अपनाना ही सफलता की कुंजी है, अर्थात समय पर समस्या का समाधान ही सफलता की कुंजी है !


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